सपने की बात | राहुल देव सपने की बात | राहुल देव जो ढूँढ़ता हूँ मैं किताबों में वह मिलता नहीं आदमी की असलियत उसकी परिभाषा हम नहीं जानते जो दिखता है वह हमेशा सच होता नहीं सपने कितने विशाल होते हैं सोचो सपनों की एक दुनिया होती तो कैसा रहता सपने देखने वालों पर कोई टैक्स नहीं लगता लोग हँसते हैं शायद वे नहीं जानते सपनों में […]
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