होना | प्रमोद कुमार तिवारी

होना | प्रमोद कुमार तिवारी

होना | प्रमोद कुमार तिवारी होना | प्रमोद कुमार तिवारी कुछ लोगों का होना‘होना’ लगता ही नहींजैसे नहीं लगताकि नाक का होनाया पलक का झपकना भी‘होना’ है।पर इनके नहीं होने परसंदेह होता है खुद के ‘होने’ परये कैसा होना हैकि जब तक होता हैबिलकुल नहीं होतापर जब नहीं होतातो कमबख्त इतना अधिक होता हैकि जीना … Read more

हादसा | प्रमोद कुमार तिवारी

हादसा | प्रमोद कुमार तिवारी

हादसा | प्रमोद कुमार तिवारी हादसा | प्रमोद कुमार तिवारी हादसों के मेरे शहर मेंजिस दिन नहीं होताकोई हादसालगता हैहादसा हो गया

हत्या और आत्महत्या के बीच | प्रमोद कुमार तिवारी

हत्या और आत्महत्या के बीच | प्रमोद कुमार तिवारी

हत्या और आत्महत्या के बीच | प्रमोद कुमार तिवारी हत्या और आत्महत्या के बीच | प्रमोद कुमार तिवारी हत्या और आत्महत्या के बीचकितनी चवन्नियों का फासला होता है?क्या इन दोनों के बीच अँट सकता हैएक कमीज का कॉलरया घिघियाहट से मुक्त आवाजकहीं आप यह तो नहीं सोच रहेकि सवाल ही गलत है दोनों में कोई … Read more

सितुही भर समय | प्रमोद कुमार तिवारी

सितुही भर समय | प्रमोद कुमार तिवारी

सितुही भर समय | प्रमोद कुमार तिवारी सितुही भर समय | प्रमोद कुमार तिवारी होते थे पहलेकई-कई दिनों के एक दिनमाँ के बार-बार जगाने के बाद भीबच ही जाता, थोड़ा-सा सोने का समयतब कन्यादान किए पिता की तरहआराम से हौले-हौले यात्रा करता सूरज चबेना ले भाग जाते बाहरघंटों तालाब में उधम मचा,बाल सुखा, लौटते जब … Read more

स्मृति | प्रमोद कुमार तिवारी

स्मृति | प्रमोद कुमार तिवारी

स्मृति | प्रमोद कुमार तिवारी स्मृति | प्रमोद कुमार तिवारी आत्मा में धँसी हैतुम्हारी खामोश निगाहजो करक उठती हैस्मृतियों की हल्की हवा से।

सपनों का राजकुमार | प्रमोद कुमार तिवारी

सपनों का राजकुमार | प्रमोद कुमार तिवारी

सपनों का राजकुमार | प्रमोद कुमार तिवारी सपनों का राजकुमार | प्रमोद कुमार तिवारी आता था सफेद घोड़े पर सवारमेरा राजकुमारचाँद से भी तेज घोड़ा दौड़ातेसन्न से निकल जाते हमबादलों के पार।माँ की डाँट अक्सररेशमी बादलों से उठाकरडाल देती, चूल्हे के सामनेहम इंद्रधनुष पर बैठेउड़ा रहे होते बादलों के गुब्बारेकि अपनी टाई के लिए चीखता … Read more

विश्वविद्यालय में सौंदर्यीकरण | प्रमोद कुमार तिवारी

विश्वविद्यालय में सौंदर्यीकरण | प्रमोद कुमार तिवारी

विश्वविद्यालय में सौंदर्यीकरण | प्रमोद कुमार तिवारी विश्वविद्यालय में सौंदर्यीकरण | प्रमोद कुमार तिवारी अरे! ये पत्ती यहाँ कैसे उग गईऔर ये डाल टेढ़ी क्यों है?पौधों को बिलकुल शऊर नहीं होताठीक वहीं फेंक देंगे कनखीजहाँ होनी चाहिए कायदे से खाली जगहजहाँ होनी चाहिए शाखावहाँ बस गूमड़ बन के रह जाएगा।बताइए भला अब इस नीरस अमलतास … Read more

राजा डरता है | प्रमोद कुमार तिवारी

राजा डरता है | प्रमोद कुमार तिवारी

राजा डरता है | प्रमोद कुमार तिवारी राजा डरता है | प्रमोद कुमार तिवारी एक था राजा बहुत महानअदब मानता दुनिया जहानपर राजा रहता परेशानजाने कैसा रोग था!किसी के हँसने परसेना की परेड करवाताबच्चों को मुस्कराते देखकरता खजाने की जाँचरानी के हँसने परमारता तमाचाऔर बेटी के हँसने परबार-बार देखता आईना।एक था राजा बहुत महानअदब मानता … Read more

माँ | प्रमोद कुमार तिवारी

माँ | प्रमोद कुमार तिवारी

माँ | प्रमोद कुमार तिवारी माँ | प्रमोद कुमार तिवारी पता नहींकैसी है माँगुमसुम खोई-खोईकुम्हार की माटीआटे की लोई,निर्विकार आँखों से देखतीनारी शुभचिंतकों को।आँचल पसार लेतीबुआ के तानेदादी की गाली।कोई अंतर नहीं दिखता माँ मेंजब गाहे बगाहे उसेफींच देते हैं मेरे पिताबस, वो चूल्हे के पास बैठ आँखें मलने लगती हैया गीले चेहरे पर क्षीण … Read more

माँ | प्रमोद कुमार तिवारी

माँ | प्रमोद कुमार तिवारी

माँ | प्रमोद कुमार तिवारी माँ | प्रमोद कुमार तिवारी पता नहींकैसी है माँगुमसुम खोई-खोईकुम्हार की माटीआटे की लोई,निर्विकार आँखों से देखतीनारी शुभचिंतकों को।आँचल पसार लेतीबुआ के तानेदादी की गाली।कोई अंतर नहीं दिखता माँ मेंजब गाहे बगाहे उसेफींच देते हैं मेरे पिताबस, वो चूल्हे के पास बैठ आँखें मलने लगती हैया गीले चेहरे पर क्षीण … Read more