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मेगलोमैनिया | प्रदीप जिलवाने

मेगलोमैनिया | प्रदीप जिलवाने मेगलोमैनिया | प्रदीप जिलवाने पटरियों पर जिस बेहरमी से गुजरती है रेलया सन्नाटे को जिस क्रूरता से तोड़ता है सायरनतुमने भी तो धरती को दिये हैं दृश्य कुछ ऐसे हीबतौर उपहार बढ़ाया है कब्रस्तानों की सरहदों को औरउनकी तादात को भी क्या एक जूता नाकाफी नहीं होता इसके लिएभले ही वह […]