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सॉनेट – 2 | नामवर सिंह

सॉनेट – 2 | नामवर सिंह सॉनेट – 2 | नामवर सिंह दोस्त, देखते हो जो तुम अंतर्विरोध-सामेरी कविता कविता में, वह दृष्टि दोष है। यहाँ एक ही सत्य सहस्र शब्दों में विकसारूप-रूप में ढला एक ही नाम, तोष है। एक बार जो लगी आग, है वही तो हँसीकभी, कभी आँसू, ललकार कभी, बस चुप्पी। […]