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श्रांत मन का एक कोना | मानोशी चटर्जी

श्रांत मन का एक कोना | मानोशी चटर्जी श्रांत मन का एक कोना | मानोशी चटर्जी श्रांत मन का एक कोनाशांत मधुवन-छाँव माँगे। सरल मन की देहरी परहुए पाहुन सजल सपने,प्रीति सुंदर रूप धरती,दोस्त-दुश्मन सभी अपने,भ्रमित है मन, झूठ-जग मेंसहज पथ के गाँव माँगे। कई मौसम, रंग देखेघटा, सावन, धूप, छाया,कड़ी दुपहर, कृष्ण-रातें,दुख-घनेरे, भोग, माया।क्लांत […]