सयानी बुआ | मन्नू भंडारी

सयानी बुआ | मन्नू भंडारी

सयानी बुआ | मन्नू भंडारी – Sayani Bua सयानी बुआ | मन्नू भंडारी सब पर मानो बुआजी का व्यक्तित्व हावी है। सारा काम वहाँ इतनी व्यवस्था से होता जैसे सब मशीनें हों, जो कायदे में बँधीं, बिना रुकावट अपना काम किए चली जा रही हैं। ठीक पाँच बजे सब लोग उठ जाते, फिर एक घंटा … Read more

स्त्री सुबोधिनी | मन्नू भंडारी

स्त्री सुबोधिनी | मन्नू भंडारी

स्त्री सुबोधिनी | मन्नू भंडारी – Stree Subodhinee स्त्री सुबोधिनी | मन्नू भंडारी प्यारी बहनो, न तो मैं कोई विचारक हूँ, न प्रचारक, न लेखक, न शिक्षक। मैं तो एक बड़ी मामूली-सी नौकरीपेशा घरेलू औरत हूँ, जो अपनी उम्र के बयालीस साल पार कर चुकी है। लेकिन उस उम्र तक आते-आते जिन स्थितियों से मैं … Read more

यही सच है | मन्नू भंडारी

यही सच है | मन्नू भंडारी

यही सच है | मन्नू भंडारी – Yahi Sach Hai यही सच है | मन्नू भंडारी कानपुर सामने आँगन में फैली धूप सिमटकर दीवारों पर चढ़ गई और कंधे पर बस्ता लटकाए नन्हे-नन्हे बच्चों के झुंड-के-झुंड दिखाई दिए, तो एकाएक ही मुझे समय का आभास हुआ। घंटा भर हो गया यहाँ खड़े-खड़े और संजय का … Read more