हाथ | महेश वर्मा
हाथ | महेश वर्मा हाथ | महेश वर्मा अभी इस पर धूल की पतली परत है लेकिनयह मेरा हाथ है जिसे देखता हूँ बार बारडूबकर जीवन में। यहीं कहीं हैं भाग्य और यश की पुरातन नदियाँकोई त्रिभुज घेरे हुए भविष्य का वैभव,समुद्र यात्राओं के अनाम विवरण,किसी चाँद का अपरिचित पठार, कोई रेखाजिसमें छिपाकर रखे गए … Read more