हाथ | महेश वर्मा हाथ | महेश वर्मा अभी इस पर धूल की पतली परत है लेकिनयह मेरा हाथ है जिसे देखता हूँ बार बारडूबकर जीवन में। यहीं कहीं हैं भाग्य और यश की पुरातन नदियाँकोई त्रिभुज घेरे हुए भविष्य का वैभव,समुद्र यात्राओं के अनाम विवरण,किसी चाँद का अपरिचित पठार, कोई रेखाजिसमें छिपाकर रखे गए […]
Mahesh Verma
Posted inPoems
सेब | महेश वर्मा
Posted inPoems
वर्षाजल | महेश वर्मा
Posted inPoems
लड़की और गुलाब के फूल | महेश वर्मा
Posted inPoems
रात | महेश वर्मा
Posted inPoems
राख | महेश वर्मा
Posted inPoems
रहस्य | महेश वर्मा
Posted inPoems
रविवार | महेश वर्मा
Posted inPoems
रुका रहता है | महेश वर्मा
Posted inPoems