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हवा | महेन्द्र भटनागर

हवा | महेन्द्र भटनागर हवा | महेन्द्र भटनागर ओ प्रियसुख-गंध भरीमदमत्त हवा!मेरी ओर बहो –हलके-हलके!बरसाओ मेरेतन पर, मन परशीतल छींटें जल के! ओ प्यारीलहर-लहर लहरातीउन्मत्त हवा!निःसंकोच करोबढ़ कर उष्ण स्पर्शमेरे तन का! ओ, सर-सर स्वर भरतीमधुरभाषिणीमुखर हवा!चुपके-चुपकेमेरे कानों मेंअब तक अनबोलाकोई राज कहोमन का! आओ!मुझ पर छाओ!खोल लाज-बंधआजआवेष्टित हो जाओ,आजीवनअनुबंधित हो जाओ!