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माँ थी तो | मधुसूदन साहा

माँ थी तो | मधुसूदन साहा माँ थी तो | मधुसूदन साहा माँ थी तो अपना घर मुझकोसबसे अच्छा घर लगता था। आस लिए आँखों में हरदमखुलता था घर का दरवाजामाँ के मुख से मौलसिरी-सास्वर झरता था ताजा-ताजा,जहाँ चाहता खेला करतानहीं किसी से डर लगता था। कुशल क्षेम सब पूछ पाँछकरबचपन के दिन याद दिलातीजो […]