माँ थी तो | मधुसूदन साहा

माँ थी तो | मधुसूदन साहा

माँ थी तो | मधुसूदन साहा माँ थी तो | मधुसूदन साहा माँ थी तो अपना घर मुझकोसबसे अच्छा घर लगता था। आस लिए आँखों में हरदमखुलता था घर का दरवाजामाँ के मुख से मौलसिरी-सास्वर झरता था ताजा-ताजा,जहाँ चाहता खेला करतानहीं किसी से डर लगता था। कुशल क्षेम सब पूछ पाँछकरबचपन के दिन याद दिलातीजो … Read more

नदी की व्यथा | मधुसूदन साहा

नदी की व्यथा | मधुसूदन साहा

नदी की व्यथा | मधुसूदन साहा नदी की व्यथा | मधुसूदन साहा कभी न पूछो किसी नदी सेउसकी व्यथा पुरानी सदियों सेउसने मुश्किल केकितने दिन काटे हैं,कब कितनेखाई खंदक कोजीवन में पाटे हैं,बहुत कठिन है संघर्षों कीउसकी कथा-पिहानी। कहाँ-कहाँकितने घाटों परउसको पड़ा ठहरना,बीहड़ केकिन-किन बाटों सेउसको पड़ा गुजरनावह कैसे खुद कह पाएगीसब कुछ स्वयं जुबानी। … Read more