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वसंत आया | लीलाधर जगूड़ी

वसंत आया | लीलाधर जगूड़ी वसंत आया | लीलाधर जगूड़ी वसंत आया तमतमायाखून खौलायाइतनी सारी लाशों के बीच वसंत आया दबे हुए फूटकर बँधे हुए जैसे छूटकरजोड़-तोड़वाले जैसे पूरी तरह टूटकर निकलेपत्तों से भरा पेड़ झन्‍नायाइतनी सारी लाशों के बीच वसंत आया वह भी आया जो मँजा हुआ थावह भी अँजा हुआ था जिसकी आँखों […]