हुईं मिठबोली हवाएँ | कुमार रवींद्र

हुईं मिठबोली हवाएँ | कुमार रवींद्र

हुईं मिठबोली हवाएँ | कुमार रवींद्र हुईं मिठबोली हवाएँ | कुमार रवींद्र हँसे बच्चेहुईं मिठबोली हवाएँ। आखिरी तारा सिराकररात सोईधूप ने चूनर सुनहरीनदी के जल में भिगोईघाट परफिर कही साधू ने कथाएँ। उड़े पंछीरोशनी के पंख खोलेकिसी मछुइन नेसगुन के बोल बोलेदेख उसकोइंद्रधनुषी हो गई सारी दिशाएँ। किसी कनखी नेअलख ऋतु की जगाईपत्तियों ने दीछुवन-सुख … Read more

सुनो तो जरा | कुमार रवींद्र

सुनो तो जरा | कुमार रवींद्र

सुनो तो जरा | कुमार रवींद्र सुनो तो जरा | कुमार रवींद्र सुनो तो जरापेड़ हवाओं से क्या कहते। बिरछ-ज्ञान है बड़ा पुरानाऋषि-मुनियों ने इसको साधामंत्र रचे थे इसी ज्ञान सेजिनने मेटी हर भवबाधा पाप-तापसबके भी, साधोबिरछ-गाछ हँसकर हैं सहते। पेड़ों ने छाया दी सबकोफूल-फलों से हमें नवाजाफर्क नहीं करते वे कोईहोवे रंक या कि … Read more

विकट हैं दिन | कुमार रवींद्र

विकट हैं दिन | कुमार रवींद्र

विकट हैं दिन | कुमार रवींद्र विकट हैं दिन | कुमार रवींद्र विकट हैं दिनयह हमारा गीत कैसे जिएगा – सोचते हम। फूल की पगडंडियों परराख बरसी रात भर कलउड़ रहा है घाट परदेखो किसी का फटा आँचलभीड़ है दुःशासनों कीकौन इसको सिएगा – सोचते हम। देख घटनाएँ हुई गुमसुमआरती-होती हवाएँबाँचता है पेड़ बूढ़ा जो … Read more

राजा-रानी इतिहास हुए | कुमार रवींद्र

राजा-रानी इतिहास हुए | कुमार रवींद्र

राजा-रानी इतिहास हुए | कुमार रवींद्र राजा-रानी इतिहास हुए | कुमार रवींद्र युग यह परजा काकहते सबराजा-रानी इतिहास हुए। दिन रामराज के बीत चुकेसूरज-भी, सुना, नया आयाहै पूजनीय देवा थुलथुलसब हाट-लाट की है मायाबस जात-पात केझगड़े हीअपनी बस्ती में खास हुए। गुन-अवगुन की बातें छूछीहैं अंधे युग की घटनाएँहो गए गुणीजन व्यापारीरच रहे नई नित … Read more

दिन तुलसीचौरे के वासी | कुमार रवींद्र

दिन तुलसीचौरे के वासी | कुमार रवींद्र

दिन तुलसीचौरे के वासी | कुमार रवींद्र दिन तुलसीचौरे के वासी | कुमार रवींद्र कहाँ गए वेदिन तुलसीचौरे के वासी। पहले रहते थेये सूरज नदी-किनारेजल पीते थे मीठेतब घर-घाट हमारेअब तो सुनतेबरसों से है नदी उपासी। गुंबद-नीचेजंगल-पगडंडी-घर खोएसड़कों पर हैंलोग निकलते सोए-सोएअब केसपने भी हैं, भाई, कन्यारासी। जले पंख-परमहक भोर की वे लाए थेहमने खुद … Read more

गंग-जमुन का इसमें पानी | कुमार रवींद्र

गंग-जमुन का इसमें पानी | कुमार रवींद्र

गंग-जमुन का इसमें पानी | कुमार रवींद्र गंग-जमुन का इसमें पानी | कुमार रवींद्र संतों, तुमनेसुनी गीत की बोली-बानी। जलपाखी की कूजबसी वंशी की धुन हैपरबतिया के पायल कीमीठी रुनझुन हैहमने इससे हीबसंत की सुनी कहानी। तान अभी ली मछुए नेउसके भी सुर हैंगूँजी बीन जहाँहिरदय के अंतःपुर हैंनेह-छोह कीप्रथा इसी से हमने जानी। तुलसी-सूर-कबीरा … Read more

क्षीरसागर आँख में है | कुमार रवींद्र

क्षीरसागर आँख में है | कुमार रवींद्र

क्षीरसागर आँख में है | कुमार रवींद्र क्षीरसागर आँख में है | कुमार रवींद्र क्षीरसागरआँख में हैउसे खोजो नहीं बाहर। वहीं शैय्या नाग की हैप्रभु उसी पर शयन करतेपाँव से उनके अलौकिकनेह-झरने, बंधु, झरतेऔर मइया लक्ष्मी कावास भी तो वहीं भीतर। सुरज देवा भीवहीं से ताप लेते-जोत लेतेउसी मीठे सिंधु मेंहम देह की हैं नाव … Read more

एक धूप की किरण | कुमार रवींद्र

एक धूप की किरण | कुमार रवींद्र

एक धूप की किरण | कुमार रवींद्र एक धूप की किरण | कुमार रवींद्र एक धूप की किरणहमारे घर में रहती है। जिद करती हैहर कोना-अतरी उजराने कीहमें पूर्व के गीतों काअंतरा बनाने की‘बाबा, धूप बनो’वह हमसे दिन-भर कहती है। उसकी आँखों मेंसतरंगी सपने पलते हैंउत्सव है वहचंदा-सूरज कभी न ढलते हैं।मौज नदी कीवह सुहास … Read more

उसकी देही बंजर धरती | कुमार रवींद्र

उसकी देही बंजर धरती | कुमार रवींद्र

उसकी देही बंजर धरती | कुमार रवींद्र उसकी देही बंजर धरती | कुमार रवींद्र गर्मी झुलसीबरखा भीगीजाड़े-भर वह थरथर काँपी। भिनसारे से सई साँझ तक वह खटती है‘होइहि सो जो राम रचि राखा’ वह रटती है पाँव-पियादेसड़क-दर-सड़कउसने पूरी नगरी नापी। रात हुए वह किसी घाट पर सो जाती हैबुझे आरती के दीये की वह बाती … Read more