यु़द्ध के आसार चढ़ते जा रहे हैं | कृष्ण कुमार

यु़द्ध के आसार चढ़ते जा रहे हैं | कृष्ण कुमार

यु़द्ध के आसार चढ़ते जा रहे हैं | कृष्ण कुमार यु़द्ध के आसार चढ़ते जा रहे हैं | कृष्ण कुमार यु़द्ध के आसार चढ़ते जा रहे हैं।चोट खाए सर्प ने फुंकार लीचल पड़ा डसने स्वयं आतंक को।अन्य देशों का सहारा साथ लेसाथ ले आतंकवादी डंक को।।की बहुत कोशिश मिटाने की मगर,उस चतुर के जाल बढ़ते … Read more

मृत्यु क्यों तुम आ रही हो ? | कृष्ण कुमार

मृत्यु क्यों तुम आ रही हो ? | कृष्ण कुमार

मृत्यु क्यों तुम आ रही हो ? | कृष्ण कुमार मृत्यु क्यों तुम आ रही हो ? | कृष्ण कुमार मृत्यु क्यों तुम आ रही हो ?सोचता हूँ भाग जाऊँया किसी को पास लाऊँफिर तुम्ही से पूछता हूँ,क्या संदेशा ला रही हो ? साथ क्या जाना पड़ेगाक्या मुझे लाना पड़ेगाकौन होगा साथ मेरे,क्यों नहीं बतला … Read more

मैं पास तुम्हारे आ न सका | कृष्ण कुमार

मैं पास तुम्हारे आ न सका | कृष्ण कुमार

मैं पास तुम्हारे आ न सका | कृष्ण कुमार मैं पास तुम्हारे आ न सका | कृष्ण कुमार मैं पास तुम्हारे आ न सका,तुम दूर न मुझसे हो पाईं।कुछ मेरी भी मजबूरी थीजो तुमको समझ नहीं आई। आँखों में आँसू आ न सकेपर मन ने दुख-कविता गाई।।सावन ने भी अंगार दिये,कब जल की बूँदें बरसाईं। … Read more

बार-बार साकी जीवन में | कृष्ण कुमार

बार-बार साकी जीवन में | कृष्ण कुमार

बार-बार साकी जीवन में | कृष्ण कुमार बार-बार साकी जीवन में | कृष्ण कुमार बार-बार साकी जीवन में,बोलो ऐसा क्यों होता है ? सूरज के खिलने से पहलेबादल यूँ क्यों छा जाते हैं ?कली चमन की फूल बनी कबखिले फूल मुरझा जाते हैं ?जीवन के नाटक में बोलो,हँसता मानव क्यों रोता है ? जीवन की … Read more

प्रेम उमंगित और तरंगित | कृष्ण कुमार

प्रेम उमंगित और तरंगित | कृष्ण कुमार

प्रेम उमंगित और तरंगित | कृष्ण कुमार प्रेम उमंगित और तरंगित | कृष्ण कुमार प्रेम उमंगित और तरंगित,एक शलभ मँडराता है। एक अर्चना एक तर्जनागुंजन में है एक वंदना।गुन-गुन-गुन कर गाता जाताकरता बस रहता रचना।।एक राग में एक तान से,ही केवल वह गाता है। भूल गया है इस दुनिया मेंऊपर नीचे आता है।पंखों पर वह … Read more

दुखियारा मन रो ही पड़ता | कृष्ण कुमार

दुखियारा मन रो ही पड़ता | कृष्ण कुमार

दुखियारा मन रो ही पड़ता | कृष्ण कुमार दुखियारा मन रो ही पड़ता | कृष्ण कुमार दुखियारा मन रो ही पड़ता,इसको क्या देकर समझाऊँ ? जीवन की बदली ने मुझ परकुछ ऐसा हिमपात कर दियाअपने ही साथी साकी नेविष मधुघट में पुनः भर दियाबेचारी मधुशाला रोती,इसको अब कैसे बहलाऊँ ? आशा को ठग रही निराशाआज … Read more

छोड़ रोना तू जरा हँस | कृष्ण कुमार

छोड़ रोना तू जरा हँस | कृष्ण कुमार

छोड़ रोना तू जरा हँस | कृष्ण कुमार छोड़ रोना तू जरा हँस | कृष्ण कुमार छोड़ रोना तू जरा हँस सोचता ही जा रहा हैव्यर्थ मन उकसा रहा हैयदि रहा खोया ही खोया,क्या मिलेगा प्राण का रस। चार दिन की यह कहानीप्यार से बनती सुहानीतू अगर ऐसा करेगा,जग रहेगा हाय बेबस। छोड़ दे अब … Read more

गीत तुम अब गुनगुनाओ | कृष्ण कुमार

गीत तुम अब गुनगुनाओ | कृष्ण कुमार

गीत तुम अब गुनगुनाओ | कृष्ण कुमार गीत तुम अब गुनगुनाओ | कृष्ण कुमार गीत तुम अब गुनगुनाओ। धुन कोई नूतन निकालो।कंठ में सुर-राग डालो।रो रहे दुख से मनुज के,पास जा कर बैठ जाओ। आग में गम की तपोगे।जान लो कुंदन बनोगे।।पुष्प की मधुगंध के हित,खार से दामन छिदाओ। तुम स्वयं से लड़ रहे हो।कर्म … Read more

काल को सुनना पड़ेगा | कृष्ण कुमार

काल को सुनना पड़ेगा | कृष्ण कुमार

काल को सुनना पड़ेगा | कृष्ण कुमार काल को सुनना पड़ेगा | कृष्ण कुमार काल को सुनना पड़ेगा। क्रांति के ध्वज को उठाओसो रहे उनको जगाओबिगुल वाणी का बजा कर,साँस को गुनना पड़ेगा। अब पुराने युद्ध सारे व्यर्थ हैंयंत्र के उपयोग उनके अर्थ हैंयंत्र का बाहुल्य चारों ओर है,धर्म को बुनना पड़ेगा। सोच की जब … Read more

क्यों अँधेरों में | कृष्ण कुमार

क्यों अँधेरों में | कृष्ण कुमार

क्यों अँधेरों में | कृष्ण कुमार क्यों अँधेरों में | कृष्ण कुमार क्यों अँधेरों मेंनया दीपक जलाना चाहते हो ? सूर्य की किरणें जगत कोक्यों नहीं अब नूर देतीं ?वृक्ष की वह सघन छायाक्यों नहीं अब पूर देती ?बढ़ रहीं सब दूरियों को,क्यों मिटाना चाहते हो ? क्यों चमन के फूल सारेअब नहीं वह कांति … Read more