होंठ | केदारनाथ सिंह होंठ | केदारनाथ सिंह हर सुबहहोंठों को चाहिए कोई एक नामयानी एक खूब लाल और गाढ़ा-सा शहदजो सिर्फ मनुष्य की देह से टपकता है कई बारदेह से अलगजीना चाहते हैं होंठवे थरथराना-छटपटाना चाहते हैंदेह से अलगफिर यह जानकरकि यह संभव नहींवे पी लेते हैं अपना सारा गुस्साऔर गुनगुनाने लगते हैंअपनी जगह […]
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सृष्टि पर पहरा | केदारनाथ सिंह
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शाम बेच दी है | केदारनाथ सिंह
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शहरबदल | केदारनाथ सिंह
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शहर में रात | केदारनाथ सिंह
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वह | केदारनाथ सिंह
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