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साम्यवादी | काज़ी नज़रूल इस्लाम

साम्यवादी | काज़ी नज़रूल इस्लाम साम्यवादी | काज़ी नज़रूल इस्लाम गाता हूँ साम्यता का गानजहाँ आकर एक हो गए सब बाधा-व्यवधानजहाँ मिल रहे हैं हिंदू – बौद्ध – मुस्लिम – ईसाईगाता हूँ साम्यता का गान! तुम कौन? पारसी? जैन? यहूदी? संथाली, भील, गारो?कनफ्यूसियस? चार्वाक के चेले? कहते जाओ, कहो और !बंधु, जितने खुश हो जाओ,पेट, […]