हरा नहीं हो सकता है | कमलेश द्विवेदी हरा नहीं हो सकता है | कमलेश द्विवेदी जो जड़ से ही सूख गया होहरा नहीं हो सकता है। जो भीतर से भारी होताहल्की बात नहीं करता है।वर्तमान की बातें करताकल की बात नहीं करता है। जो-पल पल ही छलक रहा होभरा नहीं हो सकता है।जो जड़ […]
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हम बादल हैं | कमलेश द्विवेदी
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मैं पत्थर हूँ | कमलेश द्विवेदी
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नेह-नदी | कमलेश द्विवेदी
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