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सिर्फ एक दिन | कबीर संजय

सिर्फ एक दिन | कबीर संजय – Sirph Ek Din सिर्फ एक दिन | कबीर संजय दरवाजा खोलते ही नेहा का ध्यान जिस पहली चीज पर गया उसने उसे परेशान कर दिया। रात के दस बज चुके थे। नीचे बाइक की बुड़-बुड़ थमी। उसे स्टैंड पर खड़ी करने की आवाज आई। और फिर सीढ़ियों पर […]