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हँसोड़ | हाइनरिश ब्योल

हँसोड़ | हाइनरिश ब्योल – Hansod हँसोड़ | हाइनरिश ब्योल रघुवीर सहाय की तरह किसी कवि की मुश्किल भाषा हो या जनता, बकौल त्रिलोचन, तुलसीदास ही वह कवि हैं जो तमाम आलोचना/विमर्श के दायरे में लाखों के बोल सहकर भी जन-कवियों की सजग चेतना में रमे हुए हैं। जिस संसकिरत को कूप जल और भाखा […]