भूल ही जाएँगे | हरिओम राजोरिया
भूल ही जाएँगे | हरिओम राजोरिया भूल ही जाएँगे | हरिओम राजोरिया भूल ही जाएँगे एक दिनटिमटिमाते तारों के बीचखिलखिलाकर हँसते चाँद कोकाली रात की आँखों सेरुक-रुककर रिसते आँसुओं को ओर बर्फीली हवाओं के बीचदूर तक फैले घने अंधकार कोभूलना ही पड़ेगा आखिरअपने दुर्दिनों में हुए अपमानों कोऔर राख के नीचेदिपदिपाते हुए लाल अंगार कोएक … Read more