मेरी अलमारी | फहीम अहमद

मेरी अलमारी | फहीम अहमद

मेरी अलमारी | फहीम अहमद मेरी अलमारी | फहीम अहमद बहुत बड़ी मेरी अलमारीचीजें इसमें रखीं सारी। सबसे ऊपर प्यारा बस्ताऔर बगल में है गुलदस्ता। पास उसी के फोटो मेरारसगुल्ले सा दिखता चेहरा। नीचे गाड़ी चाबी वालीगुड्डा रोज बजाए ताली। रखी हँसने वाली गुड़ियाखटमिट्ठे चूरन की पुड़िया। उसके नीचे कई किताबेंकुछ हैं बिलकुल नई किताबें। … Read more

मैं जो होता जादूगर | फहीम अहमद

मैं जो होता जादूगर | फहीम अहमद

मैं जो होता जादूगर | फहीम अहमद मैं जो होता जादूगर | फहीम अहमद जंतर-मंतर पढ़ता हरदममै जो होता जादूगर। फूँक मारता तो पापाजीझट बन जाते बच्चे।चुपके से जब पेड़ों पे चढ़आम तोड़ते कच्चे।तो पापा-सा बनकर उनकोडाँट पिलाता मै जी भर। छड़ी घुमाता, अंधा कालूपाता रोशन आँखें।उसके मन में भी उग आतींउम्मीदों की पाँखें।उसकी आँखों … Read more

मैं गुस्सा हूँ | फहीम अहमद

मैं गुस्सा हूँ | फहीम अहमद

मैं गुस्सा हूँ | फहीम अहमद मैं गुस्सा हूँ | फहीम अहमद जाओ जी, मै गुस्सा हूँ। भैया कहते कान न खाओउधम मचाना ठीक नहीं।मम्मी कहती बाहर खेलोकरो शरारत और कहीं।मुझे भगाते सभी यहाँ सेमैं भी घर का हिस्सा हूँ। यह मत खाओ, उसे मत छुओहरदम मुझ पर रोक लगे।रूठूँ न तो और क्या करूँमेरा … Read more

मैं क्या चाहूँ | फहीम अहमद

मैं क्या चाहूँ | फहीम अहमद

मैं क्या चाहूँ | फहीम अहमद मैं क्या चाहूँ | फहीम अहमद कोई भी मुझसे न पूछेकि आखिर मै क्या चाहूँ। मेरे इस नन्हे-से मन मेंछिपी हुई हैं बातें खूब।मन करता खरगोश बनूँ मैंचरता फिरूँ मुलायम दूब। पंख लगाकर उड़ने वालासुंदर-सा सपना चाहूँ। पापा कहते हैं वकील बनतुम्हीं बढ़ा सकते हो शान।मम्मी कहें डॉक्टर बनकररख … Read more

बातों की रेल | फहीम अहमद

बातों की रेल | फहीम अहमद

बातों की रेल | फहीम अहमद बातों की रेल | फहीम अहमद बच्चों के बीच चलीबातों की रेल। एक-एक डिब्बे मेंबातों की पुड़िया। होंठों से निकल ज्योंफुदक रही चिड़िया। चिड़िया उड़ाने काशुरू हुआ खेल। कोयल की बोली-सीमीठी है बानी। थोड़ी-सी बुद्धू हैथोड़ी सयानी। मिसरी का चाशनी सेहो गया मेल। लगती है बागों मेंभौरों की गुनगुन। … Read more

बरगद | फहीम अहमद

बरगद | फहीम अहमद

बरगद | फहीम अहमद बरगद | फहीम अहमद इतना हुआ पुराना बरगदनाना का भी नाना बरगद। तोता चील गिलहरी कोयलसबका बना ठिकाना बरगद। लंबी दाढ़ी रोज हिलाताहै जाना-पहचाना बरगद। दाढ़ी पकड़ झूलते बंदरकभी बुरा न माना बरगद। राहगीर को देता छायापंखा झले सुहाना, बरगद। आंधी-पानी तूफानों सेसीख चुका टकराना बरगद। डटा रहा चट्टानों जैसाहार कभी … Read more

बड़ा मजा आए | फहीम अहमद

बड़ा मजा आए | फहीम अहमद

बड़ा मजा आए | फहीम अहमद बड़ा मजा आए | फहीम अहमद हर दिन रहे यूँशरारत का मौसमबड़ा मजा आए। खिलते गुलाबों-सीचेहरों पे लाली।तोतले धमाल मचेपीट रहे ताली। शहद घुली बोली ज्योंचिड़ियों की सरगमबड़ा मजा आए। मुनमुन ने गुड़िया कीखींची जो चोटी।गुड़िया ने काट लीमीठी चिकोटी। खुशी उन मुखड़ों सेबरस रही झम-झमबड़ा मजा आए। ऐनक … Read more

बच्चों का अखबार | फहीम अहमद

बच्चों का अखबार | फहीम अहमद

बच्चों का अखबार | फहीम अहमद बच्चों का अखबार | फहीम अहमद अपने हाथों से लिख-लिख करबच्चों ने अखबार निकाला। खबर छपी, राजू के पापाने उसको बेमतलब डाँटा।शन्नो की चाची ने उसकोगुस्से में कल मारा चाँटा। टूट गया काका का चश्मारवि ने जब फुटबाल उछाला। मुन्नू पाता दूध मलाईमुनिया को बस मिलती टाफी।रसगुल्लों की चोरी … Read more

नन्ही मुनिया छुई-मुई | फहीम अहमद

नन्ही मुनिया छुई-मुई | फहीम अहमद

नन्ही मुनिया छुई-मुई | फहीम अहमद नन्ही मुनिया छुई-मुई | फहीम अहमद नन्ही मुनिया छुई-मुई। दिन भर तितली जैसी उड़तीघर-आँगन चौबारे में।मुँह बिचकाती, खूब हँसातीकरती बात इशारे में।मम्मी अगर जरा भी डाँटेंरोने लगती उई-उई। रोज सवेरे चार जलेबीबड़े चाव से खाती है।चीनी वाला दूध गटागटदो गिलास पी जाती है।दूध जलेबी न हो समझो आज मुसीबत … Read more

गरमी की छुट्टी में | फहीम अहमद

गरमी की छुट्टी में | फहीम अहमद

गरमी की छुट्टी में | फहीम अहमद गरमी की छुट्टी में | फहीम अहमद नानी जी के गाँव चलेंगेहम गरमी की छुट्टी में। जाने कब से हिरनों जैसामन भर रहा कुलाँचें।हरियाले आँगन में जाकरमोरों जैसा नाचें।दौड़ लगाएँ पगडंडी परखेलें कूदें मिट्टी में। चढ़ें भैंस पर राजा जैसेघूमें बाग-बगीचे।बकरी भेड़ गधे की सेनाआए पीछे-पीछे।लगा ठहाके कर … Read more