भटकते रास्ते | डॉ. भारत खुशालानी

भटकते रास्ते | डॉ. भारत खुशालानी

भटकते रास्ते | डॉ. भारत खुशालानी भटकते रास्ते | डॉ. भारत खुशालानी कैसे करूँ मैं उसकी पैरवीजिसके पास मैं खुद हूँ गिरवीमेरे पास नौकरी थीयह बात सही नहीं थीकैदखाने में बंद थाईटों से चुनी हुई दीवार की तरह तहबंद थाव्यवस्था का गुलाम थान दिन में चैन न रात में आराम थादिन-ब-दिन पिस रहा थाबेमतलब घिस … Read more

बदलाव | डॉ. भारत खुशालानी

बदलाव | डॉ. भारत खुशालानी

बदलाव | डॉ. भारत खुशालानी बदलाव | डॉ. भारत खुशालानी पतझड़ के पत्तों की तरहलोग भी बदल जाते हैंहरे हरे रिश्तेलाल और पीले हो जाते हैं।बैठक करने वाले भी अबबिरले ही मिलते हैंमजबूत गठबंधन पल भर मेंढीले हो जाते हैं।सुगंधित फूल से रिश्तेदुर्गंध देने लगते हैंमल से भरे जल की तरहबसीले हो जाते हैं।जरा सी … Read more

नई शुरुआत | डॉ. भारत खुशालानी

नई शुरुआत | डॉ. भारत खुशालानी

नई शुरुआत | डॉ. भारत खुशालानी नई शुरुआत | डॉ. भारत खुशालानी चलो वह सब कुछ पीछे छोड़ देंजीवन की राह अब दूसरी ओर मोड़ देंसमय सब घाव भर देगा,पुराने दोषों को निष्प्रभाव कर देगायह बात समय खुद ही सिद्ध कर देगाविश्वास को मन में विद्ध कर देगाअब समय आ गया है आगे देखने का,कूड़े-कर्कटों … Read more

कवि | डॉ. भारत खुशालानी

कवि | डॉ. भारत खुशालानी

कवि | डॉ. भारत खुशालानी कवि | डॉ. भारत खुशालानी कविता करने मेंक्या हानि है?क्या कविता करनानिक्कमेपन की निशानी है?कवि अपनी मस्ती मेंकविता लिखता हैदूसरों को वहखाली बैठा दिखता हैकितनी कला से उसनेविचारों को कागज पर सँजोया हैबाहरवालों की नजरों मेंअपना आत्मसम्मान खोया हैदस बार पढ़कर हीसंतुष्ट है स्वंकृति सेतड़पता है किसीपत्रिका की स्वीकृति सेपूरी … Read more