शायद संवाद | चंद्रकांता – Shyad Sanvad शायद संवाद | चंद्रकांता नीलकंठ सोने की कोशिश में कई करवटें बदल चुकने के बाद, अब आँखें मूँदे शवासन में लेटे हैं। बेहरकत! इसी शिथिल अवस्था में नीलकंठ नींद के आगोश में चले जाते हैं। एक अभेद्य चादर उन्हें आपादमस्तक लपेट लेती है, जहाँ बस वे होते हैं […]
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बेगाने देश में | चंद्रकांता
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दहलीज पर न्याय | चंद्रकांता
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काली बर्फ | चंद्रकांता
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