हाथ | बुद्धदेव दासगुप्ता हाथ | बुद्धदेव दासगुप्ता अपने हाथों के बारे में हमेशा तुम सोचते थेफिर एकदिन सचमुच ही तुम्हारा हाथ तुमसे गुम गया।हाय, जिसे लेकर तुमने बहुत कुछ करने के सपने पाले थे गालों पे हाथ धरकरपागलों की तरह दौड़ धूप किया, न जाने कितने दिन कितने महीने कितने साल-पागलों की तरह सर […]
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हैंगर | बुद्धदेव दासगुप्ता
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