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हार गए पिता | बोधिसत्व

हार गए पिता | बोधिसत्व हार गए पिता | बोधिसत्व पिता बस कुछ दिन और जीना चाहते थे  वे हर मिलने वाले से कहते किबहुत नहीं दो साल तीन साल और मिल जाता बस । वे सब से जिंदगी को ऐसे माँगते थे जैसे मिल सकती होकिराने की दुकान पर बाजार में ।उनकी यह इच्छा […]