सावधान | भवानीप्रसाद मिश्र सावधान | भवानीप्रसाद मिश्र जहाँ-जहाँउपस्थित हो तुमवहाँ-वहाँ बंजरकुछ नहीं रहना चाहिएनिराशा का कोई अंकुर फूटे जिससेतुम्हेंऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए !
Bhawani Prasad Mishra
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सतपुड़ा के जंगल | भवानीप्रसाद मिश्र
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मंगल-वर्षा | भवानीप्रसाद मिश्र
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भले आदमी | भवानीप्रसाद मिश्र
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बुनी हुई रस्सी | भवानीप्रसाद मिश्र
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