बाँसुरी की देह | भारतेन्दु मिश्रा

बाँसुरी की देह | भारतेन्दु मिश्रा

बाँसुरी की देह | भारतेन्दु मिश्रा बाँसुरी की देह | भारतेन्दु मिश्रा बाँसुरी की देह दरकीऔर उसकी फाँस पर जो फिर रही थीएक अँगुली चिर गई है। रक्तरंजित हो रहे हैं मुट्ठियों के सब गुलाबएक तीखी रोशनी में बुझ गए रंगीन ख्वाबकहीं नंगे बादलों में किरनबाला घिर गई है। गूँज भरते शंख जैसे खोखले वीरान … Read more

मौत के कुएँ में | भारतेन्दु मिश्रा

मौत के कुएँ में | भारतेन्दु मिश्रा

मौत के कुएँ में | भारतेन्दु मिश्रा मौत के कुएँ में | भारतेन्दु मिश्रा दर्द को पकाता है बाँसुरी बनाता हैबस हसीन सपने को वो गले लगाता है।मेला है दो दिन का फिर होंगे फाँकेतीनों बच्चे उसके हैं बड़े लड़ाके केचोट जब उन्हें लगती खूब मुस्कुराता है। जाने कब टूट जाए साँसों की डोरीदुनिया का … Read more