बाँसुरी की देह | भारतेन्दु मिश्रा
बाँसुरी की देह | भारतेन्दु मिश्रा बाँसुरी की देह | भारतेन्दु मिश्रा बाँसुरी की देह दरकीऔर उसकी फाँस पर जो फिर रही थीएक अँगुली चिर गई है। रक्तरंजित हो रहे हैं मुट्ठियों के सब गुलाबएक तीखी रोशनी में बुझ गए रंगीन ख्वाबकहीं नंगे बादलों में किरनबाला घिर गई है। गूँज भरते शंख जैसे खोखले वीरान … Read more