हमारी अर्थी शाही हो नहीं सकती | अनुज लुगुन

हमारी अर्थी शाही हो नहीं सकती | अनुज लुगुन

हमारी अर्थी शाही हो नहीं सकती | अनुज लुगुन हमारी अर्थी शाही हो नहीं सकती | अनुज लुगुन हमारे सपनों में रहा हैएक जोड़ी बैल से हल जोतते हुएखेतों के सम्मान को बनाए रखनाहमारे सपनों में रहा हैकोइल नदी के किनारे एक घरजहाँ हमसे ज्यादा हमारे सपने होंहमारे सपनों में रहा हैकारो नदी की एक … Read more

सिनगी दई,जंगल,जेल,और राजा का डर | अनुज लुगुन

सिनगी दई,जंगल,जेल,और राजा का डर | अनुज लुगुन

सिनगी दई,जंगल,जेल,और राजा का डर | अनुज लुगुन सिनगी दई,जंगल,जेल,और राजा का डर | अनुज लुगुन 1 . अश्वमेध यज्ञ हो रहा हैयज्ञ का घोड़ा यहाँ पहुँच गया हैहमने घोड़े को रोक करउसे खूँटे से बाँध दिया है,राजा के लिएशांति का मतलब घोड़े को स्वीकार करना हैहमें इस तरह घोड़े की सवारी नहीं करनायहाँ से हमारी … Read more

ससन दिरी | अनुज लुगुन

ससन दिरी | अनुज लुगुन

ससन दिरी | अनुज लुगुन ससन दिरी | अनुज लुगुन इन मृत पत्थरों पर जीवित हैंहमारी सैकड़ों पुश्तों की विरासतलेकिनसरकारी पट्टों परइनका कुछ पता नहीं हैये हमारे घर हैंऔर इस तरहहम बेघर हैं सरकारी पट्टों पर,हमारी विरासत पर दखल हुईसरकारी पट्टों कीएक बार फिरहम लड़ेअपनी तदाद सेहथियार बंद राजाओं के खिलाफसमय की पगडंडियों पर चलते … Read more

सअनंत प्रेम | अनुज लुगुन

सअनंत प्रेम | अनुज लुगुन

सअनंत प्रेम | अनुज लुगुन सअनंत प्रेम | अनुज लुगुन मेरी बाँहें आसमान को समेटे हुए हैंमेरा जिस्म जमीन में गहराई से धँसा हैमुझसे लिपटी हुई हैंनदी, पहाड़ और पेड़ की शाखेंमृत्यु से पहले तकअनंत की संभावनाओं के पारमैंने असीम प्रेम किया है,अपनी भाषा की तमाम संज्ञाओं के सामने हारते हुएअंततः मैंने उसे एक नाम … Read more

शहर के दोस्त के नाम पत्र | अनुज लुगुन

शहर के दोस्त के नाम पत्र | अनुज लुगुन

शहर के दोस्त के नाम पत्र | अनुज लुगुन शहर के दोस्त के नाम पत्र | अनुज लुगुन हमारे जंगल में लोहे के फूल खिले हैंबॉक्साइट के गुलदस्ते सजे हैंअभ्रक और कोयला तोथोक और खुदरा दोनों भावों सेमंडियों में रोज सजाए जाते हैं यहाँ बड़े-बड़े बाँध भीफूल की तरह खिलते हैंइन्हें बेचने के लिएसैनिकों के … Read more

लालगढ़ | अनुज लुगुन

लालगढ़ | अनुज लुगुन

लालगढ़ | अनुज लुगुन लालगढ़ | अनुज लुगुन ऐसा तो नहीं है, साहब !कोई ईंट फेंकेऔर आप चुप रहेंऐसा तो नहीं है, साहब !कोई आपके जमीर को चुनौती देऔर आप कुछ न कहें ऐसा तो नहीं है, साहब !कोई दखलअंदाजी करेऔर आप उसकी आरती उतारेंऐसा तो नहीं है, साहब !धुआँ उठे और आग न रहेऐसा … Read more

राँग नंबर | अनुज लुगुन

राँग नंबर | अनुज लुगुन

राँग नंबर | अनुज लुगुन राँग नंबर | अनुज लुगुन (लिंगाराम के लिए) उस दिनजब तुम्हें फोन आया थादरअस्ल वह जंगलों का एक प्रस्ताव था कितुम उन्हें अपने स्पर्श से भर दोउनकी सूनी आँखों को रोशनी दोतुम्हें एक महान कदम उठाना थाप्रेम की ओर,तुम यह कर सकते थेउससे प्रेम करकेजो अपनी जंगली पगडंडियों से होकरआ … Read more

यह पलाश के फूलने का समय है | अनुज लुगुन

यह पलाश के फूलने का समय है | अनुज लुगुन

यह पलाश के फूलने का समय है | अनुज लुगुन यह पलाश के फूलने का समय है | अनुज लुगुन 1. जंगल में कोयल कूक रही हैजाम की डालियों परपपीहे छुआ-छुई खेल रहे हैंगिलहरियों की धमा-चौकड़ीपंडुओं की नींद तोड़ रही हैयह पलाश के फूलने का समय है।यह पलाश के फूलने का समय हैउनके जूड़े में … Read more

महुवाई गंध | अनुज लुगुन

महुवाई गंध | अनुज लुगुन

महुवाई गंध | अनुज लुगुन महुवाई गंध | अनुज लुगुन (कामगरों एवं मजदूरों की ओर से उनकी पत्नियों के नाम भेजा गया प्रेम-संदेश) ओ मेरी सुरमई पत्नी !तुम्हारे बालों से झरते हैं महुए। तुम्हारे बालों की महुवाई गंधमुझे ले आती हैअपने गाँव में, औरशहर के धूल-गर्दों के बीचमेरे बदन से पसीनों का टपटपानातुम्हें ले जाता … Read more

महुवे चुनता हूँ | अनुज लुगुन

महुवे चुनता हूँ | अनुज लुगुन

महुवे चुनता हूँ | अनुज लुगुन महुवे चुनता हूँ | अनुज लुगुन सुनो…!चलो चलें हाटकुछ महुआ बेच आएँतेल नमक का खर्चा नहीं हैमदाईत वालों के लिएहँड़िया की भी तो व्यवस्था करनी होगीतुम दऊरी भर लोमैं बहिंगा ठीक करता हूँ ओह…! नाराज क्यों होती होसूखे महुवे की तरह मुँह बना रही हो…?जब हमने पहली बार एक-दूसरे … Read more