माँ-2 | आनंद वर्धन
माँ-2 | आनंद वर्धन माँ-2 | आनंद वर्धन माँ आँच होती हैदेती है तपिशमाँजती है हमारे संस्कारों कोऔर सहेजती जाती हैसब स्मृतियाँपुराने कपड़ों की तह सी। कब हम घुटनों के बल चलेखड़े हुए कबकब हमारी जुबान से झरे तोतले शब्दपहली पहली बारमौलसिरी के फूल सेकब हम बड़े हुए कमरे के फर्श परकब सीखा लिखनाऔर कबहमारे … Read more