महावटों की एक रात | अहमद अली

महावटों की एक रात | अहमद अली

महावटों की एक रात | अहमद अली – Mahavato Ki Yek rat महावटों की एक रात | अहमद अली ग ड़-गड़-गड़-ड़…इलाही खैर। मालूम होता है आसमान टूट पड़ेगा। कहीं छत तो नहीं गिर रही है? गड़-ड़-ड़ इसके साथ ही टूटे हुए किवाड़ों की झिर्रियां एक तड़पती हुई रौशनी से चमक उठीं। हवा के एक तेज झोंके … Read more

बादल नहीं आते | अहमद अली

बादल नहीं आते | अहमद अली

बादल नहीं आते | अहमद अली – Badal Nahi Aate बादल नहीं आते | अहमद अली और बादल नहीं आते। निगोड़े बादल नहीं आते, गर्मी इस तड़ाखे की पड़ रही है कि अल्‍लाह-अल्‍लाह, तड़पती हुई मछली की तरह भुने जाते हैं। सूरज की गर्मी और धूप की तेजी। भाड़ भी क्‍या ऐसा गर्म होगा। पुरी … Read more