परमेशर सिंह | अहमद नदीम कासमी – Parmeshwar Sinha परमेशर सिंह | अहमद नदीम कासमी अख्तर अपनी माँ से अचानक यूँ बिछड़ गया जैसे भागते हुए किसी को जेब से रुपया गिरे। अभी था और अभी गायब। ढूँढियाँ पडी मगर बस इसी हद तक कि लुटे-पिटे काफ़िले के आखिरी सिरे पर एक हलचल साबुन के […]