सूरज1
सूरज1

सूरज आसमान से चलता किरणें बिखरती जमीं पर
वह अपना क्षण पल घड़ी, चक्कर काट रहा कहीं पर

चक्कर काट रहा कहीं पर, सुबह से शाम तक चलता है
जंगल पहाड़ समुद्र के ऊपर, अपने समय पर गुजरता है

कहे सुरजन सत्य धारण कर, तोड़ दो तम-रज
व्यर्थ समय खोना मत मौत की चेतावनी देता सूरज

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