श्राद्ध का अन्न | अरुण कमल
श्राद्ध का अन्न | अरुण कमल

श्राद्ध का अन्न | अरुण कमल

श्राद्ध का अन्न | अरुण कमल

(1)

श्राद्ध का अन्‍न खा लौट रहे तेज कदम
दूर गाँव के ग्रामीण जोर जोर से बतियाते
व्‍यंजनों का स्‍वाद मृतक का आचार व्‍यवहार
लगाते ठहाका
भूँकते कुत्‍तों को पीछे रगेदते –
लालटेन लगभग जमीन छूती
परछाइयाँ चारों बगल नाचतीं –
उड़ाते धू !

See also  भटका हुआ कारवाँ | गिरिजा कुमार माथुर

(2)

कठिन है निगलना श्राद्ध का अन्‍न –
पाँत में बैठना
फिर पोरसन का इंतजार
फिर कौर उठाना सामने मृतक के पिता के
कठिन है कंठ के नीचे उतारना
कोई भीतर दोनों हाथों से ठेल रहा है निबाला
अवरुद्ध है कंठ
मुँह चल नहीं पाता
बरौनियाँ हिल नहीं रहीं
पालथी में भर गई जाँघ –
सामने खड़ा है मृतक हँसता
पूछता, कैसी है बुँदिया कैसा रायता ?

Leave a comment

Leave a Reply