बहुत अरसे से मैं बड़ा हो नही रहा
मेरी नीली धमनियों में
चल रहा है एक परमाणुयान
अपने ऊपर रॉकेट लादे।
मैं देख नहीं पा रहा
आँखों की पहुँच नहीं उस तक
कहाँ बनायेगा यान अपना अड्डा
मेरे हृदय में या मस्तिष्क में।
क्षीण पड़ रहा है आँखों का ताल
गेंद की तरह उछल रहा है सूर्य
मुझे लग रहा है मैं बौना हूँ
कुछ नहीं कर सकता रोने के सिवा।
मेरे जलते हुए इन आँसुओं को
रोकने दो सूरज को डूबने से
चेहरे से उड़ने दो आँखों को
चुँधियाते सौंदर्य के संसार की तरफ।
और यदि जब रोशनी आये
मैं मर जाऊँगा अपने मायाजाल के साथ
कि यह यान तो चलता जायेगा
घायल कर देगा मेरे भाई या बहन को।