सेवासदन | मुंशी प्रेमचंद | हिंदी कहानी
सेवासदन | मुंशी प्रेमचंद | हिंदी कहानी

सेवासदन प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है। प्रेमचंद ने सेवासदन उपन्यास सन् १९१६ में उर्दू भाषा में लिखा था। बाद में सन १९१९ में उन्होने इसका हिन्दी अनुवाद स्वयं किया। उर्दू में यह बाज़ारे-हुस्न नाम से लिखा गया था।

कथावस्तु

सेवासदन में नारी जीवन की समस्याओं के साथ-साथ समाज के धर्माचार्यों, मठाधीशों, धनपतियों, सुधारकों के आडंबर, दंभ, ढोंग, पाखंड, चरित्रहीनता, दहेज-प्रथा, बेमेल विवाह, पुलिस की घूसखोरी, वेश्यागमन, मनुष्य के दोहरे चरित्र, साम्प्रदायिक द्वेष आदि सामाजिक विकृतियों का विवरण मिलता है। उपन्यास की कथानायिका सुमन अतिरिक्त सुखभोग की अपेक्षा में अपना सर्वस्व गवाँ लेने के बाद सामाजिक गुणसूत्रों की समझ प्राप्त करती है, जिसके बाद वह दुनिया के प्रति उदार हो जाती है। उसका पति साधु बनकर अपने विगत दुष्कर्मों का प्रायश्चित करने लगता है। इस उपन्यास पर जॉर्ज इलियट के उपन्यास एडम बीड एवं एलेक्ज़ेंडर कुप्रिन के उपन्यास यामा द पिट का प्रभाव माना जाता है।

प्रमुख-पात्र

  • सुमन
  • कृष्णचंद्र
  • गंगाजली
  • गजाधर प्रसाद
  • सदन
  • शांता
  • पद्मसिंह शर्मा
  • विट्ठलदास
  • भोलीबाई

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *