सेवाग्राम | ऋतुराज
सेवाग्राम | ऋतुराज

सेवाग्राम | ऋतुराज

सेवाग्राम | ऋतुराज

कई तरह के समय थे
वे लोग सबके दस्तावेज
तैयार करने में लगे थे
कुछ ही पढ़े जाने थे

मेरे समय में दूसरों के समय ने
प्राणघातक चीरा लगाया
उनकी खबरों ने मारकाट की
विवश एक लड़की का समय था
जिसमें चीरफाड़ करते रहे
खबरनवीस और राजनीतिज्ञ
उन राजनीतिज्ञों के समय में
होती रहीं परमविशिष्ट हवाई यात्राएँ
दौड़ती रहीं रेलें

See also  भले ले लो मुझसे, सभी साज दिल के | अलका विजय

भवननिर्माता मजदूरों के समय में
टूटे नलकों से रिसता रहा पानी
प्रयोगशालाओं में आयातित
और अप्रसांगिक पर परीक्षण
करते रहे समाजवैज्ञानिक
कातते रहे लेखक सुंदरता का सूत
लास्य नृत्य की साजसज्जा में लगे रहे कलाकार
रंगों के लालित्य की महिमा
बखानते रहे चित्रकार

गोया, सब अपने अपने समय में जी रहे थे
तब चुपचाप सत्ता जनपदों से
सामंतों के हाथों में चली गई
चुपचाप दीवार घड़ी की सुइयाँ
गिनती रही दिन रात
और टँगे रहने का संतुलन बना रहा

See also  क्या नए साल में मिलोगी?

एक समय वह भी था
जो अब रहा नहीं
जो छिन्नभिन्न हुई आशाओं
स्वप्नों और आकांक्षाओं से पहले
दासता से मुक्त होने की
उमंग से भरा था

उस समय मिट्टी की एक कुटिया में
वह बूढ़ा बाँसों की जाली से
ताजा हवा आती महसूस कर रहा था
पीपल के नीचे बैठा सुबह-शाम
सोचता था
कि अब सब कुछ ठीक होगा

See also  ग्लोबलाइजेशन | हेमधर शर्मा

कुछ भी ठीक नहीं हुआ

Leave a comment

Leave a Reply