सत्याग्रह के अर्थ | रमेश दत्त गौतम
सत्याग्रह के अर्थ | रमेश दत्त गौतम

सत्याग्रह के अर्थ | रमेश दत्त गौतम

सत्याग्रह के अर्थ | रमेश दत्त गौतम

सत्याग्रह के अर्थ
सिमटते देखे
कोलाहल में।

सत्य विलुप्त हुआ
आग्रह का झंडा लहराते हैं
अंतर्मन में लिए अँधेरा
सूरज को गाते हैं
अधरों पर बातें
बैरागी
आँखें राजमहल में।

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मर्म कहाँ छू पाते जन का
अंश किसी भाषण के
अब निष्कर्ष नहीं मिलते हैं
अनशन आंदोलन के
कागज की नावें तैराते
लहरों की हलचल में।

असली संदर्भों से कटते
नकली पर चर्चाएँ
जन गण मन पर मंथन करतीं
बस चलचित्र सभाएँ
कैसे मिले
कलश अमृत का
एक कुएँ के जल में।

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धुँधले बहुत हो गए अक्षर
कौन यहाँ पहचाने
सत्यमेव जयते के पन्ने
इतने हुए पुराने
किसको पड़ी
खिले ऊँचाई लेकर
फिर दलदल में।

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