रोटी-पानी की मुश्किलेंचाट गई हैंजिनके चेहरे का नमक जिनकी आँखों का गड्ढाऔर गहरा हुआ हैऔर किनारा और स्याह जिनका न बचपने की तरहबचपना आयान हुए वे युवा की तरह युवा उनसे कैसे कहूँकि यह अपने गणतंत्र कास्वर्ण जयंती वर्ष है?