रेहाना के नाम | अंकिता रासुरी
रेहाना के नाम | अंकिता रासुरी

रेहाना के नाम | अंकिता रासुरी

रेहाना के नाम | अंकिता रासुरी

एक बेखौफ आवाज
एक मुस्कुराता चेहरा
सिर्फ मुस्कुराता ही नहीं
दर्ज कराता है मजबूती
यह सिर्फ स्थिर समय ही नहीं
जो सिर्फ इतिहास बनकर रह जाए
मैं सोचती हूँ रेहाना तुम मेरी दोस्त तो हो ही
आने वाली हर नस्ल भी तुम्हारे साथ सीखेंगी
मुस्कुराना
और धीरे-धीरे उनमें भी प्रतिकार का बीज उगने लगेगा

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मेरे सामने तुम्हारा चेहरा है
और गूँजती हुई आवाज
तुम कहती हो कि अभी सुंदरता की कद्र नहीं है
ना सुंदर आँखों की ना विचारों की ना आवाज की चेहरे की
तुम सच कहती हो
पर एक सच और भी रेहाना
कुछ लोग हैं जो तुम्हारी सुंदरता का उत्सव नहीं मना रहे बल्कि उसे जी रहे हैं
या जीना शुरू कर रहे हैं

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वो ना तो तुम्हारे द्वारा की गई बलात्कारी की हत्या का उत्सव मना रहे हैं
ना ही तुम्हें दी गई फाँसी के गम में
दुनिया के खत्म हो जाने की चिंता कर रहे हैं
वे लड़ रहे हैं जंग उन लोगों के खिलाफ
जो तुम्हें दुनिया से भेज देने को थे आतुर

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तुम्हारे लिए कोई नहीं करेगा दुआ किसी जन्नत की
तुम रहोगी जिंदा
हमारी ही धरती पर
क्योंकि अनगिनत लड़ाइया हैं अब भी बाकी

(26वर्षीय ईरानी महिला रेहाना जब्बारी को समर्पित, जिन्हें अपने बलात्कारी की हत्या के जुर्म में फाँसी दे दी गई।)

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