रात सपने में | नीरज पांडेय
रात सपने में | नीरज पांडेय

रात सपने में | नीरज पांडेय

रात सपने में | नीरज पांडेय

रात 
सपने में 
गांधी जी आए 
हाल चाल लिए हमारा 
कसो पांडे कैसे हो… कहकर…? 
और 
पूछने लगे 
क्या चल रहा है आजकल…?

हमने कहा 
आज अचानक कैसे 
याद कर लिए महात्मा जी 
कहने लगे 
चरखा 
सूत 
बंदर 
लाठी 
सब नीचे छूट गया 
बड़ी याद आती है 
भारत की कद-काठी कैसी है…? 
अब तो मास चढ़ गई होगी 
कश्मीर से कन्याकुमारी तक 
हर शहर मोटे हो गए होंगे 
मन नहीं लगता यहाँ 
कुछ बताओ 
क्या चल रहा है…?

मैंने कहा महात्मा जी 
इस समय तो जवाबी बिरहा चल रहा है 
अलग-अलग सुर 
अलग-अलग ताल 
अलग-अलग गड़ा में

और आपका 
चश्मा भी चल रहा है 
एक शीशे में स्वच्छ और 
दूसरे में भारत को लेकर 
बंदरों को तो 
चिढ़ा चिढ़ाकर 
बदमाश कर दिए हैं लोग 
जद्द बद्द बकता है 
हियाँ हुआँ देखता है 
खुराफाती हो गया है

लाठी के बारे में बताते 
कि झाड़ू पर दिल आ गया है उसका 
बँधी बँधी घूमती है 
खूब फोटो खिंचवाती है 
तभी कंबख्त नींद खुल गई हमारी!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *