प्यार : बीसवीं सदी-1 | प्रभात रंजन
प्यार : बीसवीं सदी-1 | प्रभात रंजन
एक प्यार यह कि जो
उमगता,
पढ़-पढ़
उपन्यास, कहानी, कविता।
– सजे हुए ड्राइंग रूम,
नए माडल की कार
होटल और बार
‘ओह कपूर,
व्हाट ए वंडरफुल शाट
– शानदार।
– ‘मास्टर जी
कैसे लिख लेते हैं
कविता इतनी सुंदर ?
(मास्टर जी –
गरीब विद्यार्थी,
भावुक आदर्शों में पले।)
मगर स्वप्न नहीं पूरे हुए
बहक चले,
मास्टर जी
चलें वहाँ
मिलते हों अलग रहकर जहाँ
जमीं और आस्माँ…’
‘भाग गई बेटी’
है अखबारों की सुर्खी
लेकर गहने-कपड़े
नगदी
कई हजार !
कहते हैं लोग-बाग
कारण था महज प्यार।
(पर…
बेटी फिर वापस
मास्टर जी गिरफ्तार
‘बहकाता है
शरीफों की बहू-बेटियों को
सूअर, नालायक, मक्कार…’)