कोई सघन छाया हैजो अकुलाहट मेंबन जाती हैआसरा ममता है कोईजो अपनापा का रिश्तारखती हैअटूट छूट गए को स्मृतिकर देती हैपुनर्नवा हम कितने भी हों परेशानभरोसे की डोर है कोईजो बचा लेती हैजीवनछितराने से।