प्रेम | रेखा चमोली
प्रेम | रेखा चमोली

प्रेम | रेखा चमोली

प्रेम | रेखा चमोली

1.

प्रेम में
चट्टानों पर उग आती है घास
किसी टहनी का
पेड़ से कटकर
दूर मिट्टी में फिर से
फलना फूलना
प्रेम ही तो है
प्रेम में पलटती हैं ऋतुएँ।

2.
क्या कोई रोक पाया है कभी
हवा का बहना
बीज का अंकुरित होना
फूलों का खिलना
फिर कैसे रोक पाएगा
कभी कोई
संसार की श्रेष्टतम भावना
प्रेम का फलना-फूलना।

Leave a comment

Leave a Reply