पारदर्शी नील जल में | नामवर सिंह पारदर्शी नील जल में | नामवर सिंह पारदर्शी नील जल में सिहरते शैवालचाँद था, हम थे, हिला तुमने दिया भर तालक्या पता था, किंतु, प्यासे को मिलेंगे आजदूर ओंठों से, दृगों में संपुटित दो नाल।