Tushar Dhawal
Tushar Dhawal

पापा देखो वे मीनारें ढह रहीं हैं 
हमने जो देखी थी मेरे बचपन की तुम्हारी बातों में 
उजाड़ होकर धूल फाँक रहे हैं वे रास्ते 
गायब हो गया है 
तुम्हारी बातों का वह देस 
और उसके लोग इधर उधर भाग रहे हैं 
हमने उन्हें भर लिया है अपने भीतर 
और अब हम भी वही मीनारें हो गए हैं 
पापा देखो हम ढह रहे हैं 
तुम अब भी कुछ कह रहे हो 
दूर आकाश में कहीं देखते हुए 
और शांत हो 
पूरे विश्वास और आशा से भरे हुए 
तुम्हें यकीन है कि मीनारें नहीं ढहती हैं 
तुम उसी रास्ते पर बढ़ रहे हो 
जो उजड़कर धूल फाँक रहा है 
पापा देखो 
मेरी छाती कुचली जा रही है 
कोई सिक्कड़ों से खींच रहा है हर तरफ से 
दिमाग की गुद्दियों को 
कहीं कुछ हुआ है 
जिसकी खबर मुझ तक अभी नहीं पहुँची है 
और मैं किसी भयानक अंदेशे में घिर गया हूँ 
तुम्हारी उँगली छूट रही है मेरी पकड़ से 
यहाँ कैसे आ गया मैं कहाँ हो तुम 
यह कौन देस है पापा जिसके बारे में 
तुमने नहीं बताया कभी कुछ भी 
तुम यहाँ लाए भी नहीं मुझे 
फिर चलते चलते उसी रास्ते की देह 
कैसे गल गई 
कैसे बदल गया भेस उसका 
ये कौन लोग हैं 
तुम कहाँ हो 
अपने भीतर भरे उस देस के 
उन लोगों को टटोलता हूँ 
कुरेदता हूँ जगाता हूँ 
कोई तो कुछ बोले 
बताये मुझे बहलाने के लिए ही 
कि सपना है यह 
मन पर चलती हुई कोई फिल्म है 
कोई कह दे तुम्हारे हवाले से 
वे मीनारें नहीं गिरती हैं 
उन्हें कुछ नहीं होता 
वे लोग खत्म नहीं होते 
मुझे दिलासा दो पापा।

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