मैं,छोड़ आया था ‘माँ’पर छूटी नहीं, तुमजहाज-भर साथ रहीमैंने,पहचाना नहीं –सूरीनाम नदी तट परदेश मेंतुम मेरे साथ होअपनी परछाई मेंतुम्हें ही देखता हूँ ‘माँ’