ओ अच्छी लड़कियों तुम मुस्कुराहटों में सहेज देती हो दुख ओढ़ लेती हो चुप्पी की चुनर जब बोलना चाहती हो दिल से तो बाँध लेती हो बतकही की पाजेब नाचती फिरती हो अपनी ही ख्वाहिशों पर और भर उठती हो संतोष से कि खुश हैं लोग तुमसे ओ अच्छी लड़कियों तुम अपने ही कंधे पर ढोना जानती हो अपने अरमानों की लाश तुम्हें आते हैं हुनर अपनी देह को सजाने के निभाने आते हैं रीति रिवाज, नियम जानती हो कि तेज चलने वाली और खुलकर हँसने वाली लड़कियों को जमाना अच्छा नहीं कहता तुम जानती हो कि तुम्हारे अच्छे होने पर टिका है इस समाज का अच्छा होना ओ अच्छी लड़कियों तुम देखती हो सपने में कोई राजकुमार जो आएगा और ले जाएगा किसी महल में जो देगा जिंदगी की तमाम खुशियाँ सँभालोगी उसका घर-परिवार उसकी खुशियों पर निसार दोगी जिंदगी बच्चों की खिलखिलाहटों में सार्थकता होगी जीवन की और चाह सुहागन मरने की ओ अच्छी लड़कियों तुम थक नहीं गई क्या अच्छे होने की सलीब ढोते-ढोते सुनो, उतार दो अपने सर से अच्छे होने का बोझ लहराओ न आसमान तक अपना आँचल हँसो इतनी तेज कि धरती का कोना-कोना उस हँसी में भीग जाए उतार दो रस्मों, रिवाज के जेवर और मुक्त होकर देखो संस्कारों की भारी भरकम ओढनी से अपनी ख्वाहिशों को गले से लगाकर रो लो जी भर के आँखों में समेट लो सारे ख्वाब जो डर से देखे नहीं तुमने अब तक ओ अच्छी लड़कियों अब किसी का नहीं सँभालों सिर्फ अपना मान बेलगाम नाचने दो अपनी ख्वाहिशों को और फूँक मारकर उड़ा दो सीने में पलते सदियों पुराने दुख को पहन के देखों लोगों की नाराजगी का ताज एक बार और फोड़ दो अच्छे होने का ठीकरा ओ अच्छी लड़कियों…
हरा | प्रतिभा कटियारी हरा | प्रतिभा कटियारी कुछ जो नहीं बीततासमूचा बीतने के बाद भीआमद की आहटें नहीं ढक पातीइंतजार का रेगिस्तानबाद भीषण बारिशों के भीबाँझ ही रह जाता हैधरती का कोई कोनाबेवजह हाथ से छूटकर टूट जाता हैचाय का प्यालासचमुच, क्लोरोफिल का होनाकाफी नहीं होता पत्तियों कोहरा रखने के लिए…
हत्यारे की आँख का आँसू और तुम्हारा चुंबन सुनो | प्रतिभा कटियारी हत्यारे की आँख का आँसू और तुम्हारा चुंबन सुनो | प्रतिभा कटियारी सुनो,बहुत तेज आँधियाँ हैंइतनी तेज कि अगरये जिस्म को छूकर भी गुजर जाएँतो जख्मी होना लाजिमी हैंऔर वो जिस्मों को ही नहींसमूची जिंदगियों को छूकर निकल रही हैंउन्हें निगल रही हैंना……
सौंदर्य | प्रतिभा कटियारी जबसे समझ लिया सौंदर्य का असल रूपतबसे उतार फेंके जेवरात सारेन रहा चाव, सजने-सँवरने कान प्रशंसाओं की दरकार ही रहीनदी के आईने में देखी जो अपनी ही मुस्कानतो उलझे बालों में ही सँवर गईखेतों में काम करने वालियों सेमिलाई नजरतेज धूप को उतरने दिया जिस्म परन, कोई सनस्क्रीन भी नहींरोज साँवली…
सिर्फ तुम्हारा खयाल | प्रतिभा कटियारी खिला देता है हजारों गुलाबबहा देता कल कल करती नदियाँसदियों की सूखी, बंजर जमीन परतुम्हारा खयालकोयल को कर देता है बावलाऔर वो बेमौसम गुंजानेलगती है आकाशटेरती ही जाती हैकुहू कुहू कुहू कुहूतुम्हारा खयालहथेलियों पर उगाता हैसतरंगा इंद्रधनुषकाँधे पर आ बैठते हैं तमाम मौसमताकते हैं टुकुर-टुकुरखिलखिलाती हैं मोगरे की कलियाँबेहिसाबहालाँकि…
सुनो, मैं तुम तक पहुँचना चाहती हूँ… | प्रतिभा कटियारी सुनो, मैं तुम तक पहुँचना चाहती हूँतुम्हारे तसव्वुर को हथेली पर लेकरहर रात निकल पड़ता है मेरा मनदहलीज के उस पार…मैं तुम्हारे शहर की हवाओं मेंघुल जाना चाहती हूँ,तुम्हारे कंधे पर गिरने वाली ओसबनना चाहती हूँजिन रास्तों पर भागते-फिरते हो तुममैं उन रास्तों के सीने…
शहर लंदन | प्रतिभा कटियारी शहर लंदन | प्रतिभा कटियारी एक शहर बारिश की मुट्ठियों मेंधूप का इंतजार बचाता हैथेम्स नदी की हथेलियों पे रखता हैशहर को सींचने की ताकीदनिहायत खूबसूरत पुल कहते हैंपार मत करो मुझे, प्यार करोकला दीर्घाओं और राजमहल के बाहरलगता है कलाओं का जमघटएक बच्ची फुलाती है बड़ा सा गुब्बाराकई वहम…
शब्द भर ‘ठीक’ | प्रतिभा कटियारी शब्द भर ‘ठीक’ | प्रतिभा कटियारी ‘ठीक’ कहने से पहले जाँच लेना खुद को ठीक सेकि कहीं ‘अठीक’ साथ चिपक न जाएकहे गए ‘ठीक’ की पीठ पर’ठीक’ को सिर्फ शब्द भर बना रहने देनाउसे अपनी मुस्कुराहटों से सजाना, सँवरनाऔर जो इस ठीक से बचा हुआ सच है नउदास, तन्हा,…
वही बात | प्रतिभा कटियारी वही बात | प्रतिभा कटियारी उनके पास थीं बंदूकेंउन्हें बस कंधों की तलाश थी,उन्हें बस सीने चाहिए थेउनके हाथों में तलवारें थीं,उनके पास चक्रव्यूह थे बहुत सारेवे तलाश रहे थे मासूम अभिमन्युउनके पास थे क्रूर ठहाकेऔर वीभत्स हँसीवे तलाश रहे थे द्रौपदीउन्होंने हमें ही चुनाहमें मारने के लिएहमारे सीने परहमसे…
रोने के लिए आत्मा को निचोड़ना पड़ता है | प्रतिभा कटियारी रोने के लिए आत्मा को निचोड़ना पड़ता है | प्रतिभा कटियारी तुमने रोना भी नहीं सीखा ठीक सेऐसे उदास होकर भी कोई रोता है क्यायूँ बूँद-बूँद आँखों से बरसना भीकोई रोना हैतुम इसे दुख कहते होन, ये दुख नहींरोने के लिए आत्मा को निचोड़ना…