उस मौसम की यादभूलने के बादबची है जो खाली जगहसोचता हूँहैदराबाद के पहाड़ काएक फटा हुआकाला पत्थरजो पहले लाल थारख लूँ उसी जगहऔर डुबो दूँलाल, काले और सफेदपानी मेंताकि यह कोई न कह सकेकि पहाड़ मर चुका है।