मिरे खुश्क़ खेतों को बरसात दे
मिरे खुश्क़ खेतों को बरसात दे

मिरे खुश्क़ खेतों को बरसात दे
तू पेड़ों को फल फूल और पात दे

जो छू ले दिलों को वही बात दे
हमें तो पुरानी हिकायात दे

फ़रिश्ते फिज़ाओं में फिरने लगें
मोहब्बत की हम सब को सौगात दे

दे तौफ़ीक तेरी तमन्ना करें
तिरा नाम लेने की औक़ात दे

तिरी अज़्मतों को मुनव्वर करें
हमें चाँद ऐसे भी लम्हात दे

लहू रंग रोती हुई आँख को
कभी मुज़्द-ए-मर्गे आफ़ात दे

तू आफ़ाके-इनकार मिस्मार कर
हमें अब तो आदाब-ए-अस्बात दे

ज़मीरों में क़ंदील-ए-कुर्बत जला
उमंगों को उल्फ़त की आदात दे

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *