आइए, मिलकर पढ़ें वे मंत्र।
जो जगाएँ प्यार मन में,
घोल दें खुशबू पवन में,
खुशी भर दें सर्वजन में,
कहीं भी जीवन न हो ज्यों यंत्र।
स्वर्ग सा हर गाँव घर हो,
संपदा-पूरित शहर हो,
किसी को किंचित न डर हो,
हर तरह मजबूत हो हर तंत्र ।
छंद सुख के, गुनगुनाएँ,
स्वप्न को साकार पाएँ,
आइए, वह जग बनाएँ,
हो जहाँ सम्मानमय जनतंत्र।