मेरी प्रियतमा का दमकता सौंदर्य | मार्टिन कार्टर
मेरी प्रियतमा का दमकता सौंदर्य | मार्टिन कार्टर

मेरी प्रियतमा का दमकता सौंदर्य | मार्टिन कार्टर

मेरी प्रियतमा का दमकता सौंदर्य | मार्टिन कार्टर

अगर मैं चाहता
रात के चित्र बना सकता था मैं
विपुल जलराशि के ऊपर सितारों और
सितारों के नीचे फैली हुई जलराशि का नक्शा
मेरी प्रियतमा की सुंदरता
अँधेरे में सुबह की किरण लाने वाले पुष्प सा।
हाँ, अगर मैं चाहता
मैं अभी बंद कर लेता अपनी आँखें
और ले आता इन चीजों को दिमाग में जिंदगी की तरह।
मगर समय बदल गया है.
और जिस ओर भी मुड़ कर देखता हूँ मैं
प्रचंड विद्रोह चला जाता है मेरे साथ
एक चुंबन की तरह –
मलाया
और वियतनाम का विद्रोह –
भारत का विद्रोह
और अफ्रीका का –
संरक्षक की तरह।
मेरी सरपरस्त बन गई है
आजादी की लड़ाई –
और गुलाम बनाने वालों से मुक्ति के लिए
नृत्य करती हुई पूरी दुनिया की तरह
मेरी प्रियतमा का सौंदर्य दमकता है
उसकी हँसती हुई आँखों में।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *