मात्र रुई हूँ मैं | मनोज तिवारी
मात्र रुई हूँ मैं | मनोज तिवारी

मात्र रुई हूँ मैं | मनोज तिवारी

मात्र रुई हूँ मैं | मनोज तिवारी

रुई 
मात्र रुई हूँ मैं 
धुनिया से कहा उसने 
लाख-लाख बार 
तुम धुनों मुझे 
विछिन्न कर दो रेशे-रेशे 
फिर भी 
माघ के पाले में 
ठिठुरते तुम्हारे 
बच्चों को 
गरमाई दूँगी 
घुप्प अँधेरी रात में 
दीये की बाती बन 
रोशनी दूँगी 
क्योंकि 
मैं तो मात्र रुई हूँ।

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